जीवन-सम्बंधित विचार


 

हमारे शरीरको ले कर जीवनकी सफरमे जब हम निकलते हैं तो अन्दर बैठा हुआ मन कई सारी

आशंकाओंमे घीरा हुआ रहता है. “हमारी पहेचान क्या है?, हम यहाँ किस मक्सद्से आये हैं? ईश्वर

हमें हरेक जन्ममे यहाँ भेज कर हमारे ज़रिये क्या करवाना चाहता है? इन रास्तोंपर हमारे साथ जो

चल रहे हैं उन सबके साथ हमें कैसा रिश्ता निभाना है? जो समाजमे हम रहते हैं उनके साथ हमारा

रवैया कैसा होना चाहिए?” ऐसे कई सारे प्रश्न हमारे दिलमे उठते ही रहते हैं. ऐसे कई सारे प्रश्नोका

निराकरण हमें किसी औरके साथ बात करते हुए, अथवा हमारे मनमे उठते हुए कोई रचनात्मक

विचारोंसे, अथवा कोई अच्छी किताब पढ़ते हुए मिल सकते हैं.

हमारा अज्ञान, हमारी खोटी मान्यताएं, हमारा ख़याली डर, हमारा दूसरोंके प्रति तिरस्कार, आक्रोश,

आत्म-विश्वास की कमी जैसे कई कारण हमें जीवनका अर्थ सही मानेमें समजनेसे रोकते हैं. इसी

लिए हमें जिन उदेशसे यहाँ भेजा गया है उसे हम समज नहीं पाते.

हमारी सोचको, हमारी समजको सही दिशामे ले जा सके ऐसे छोटे या बड़े विचारों को इस विभागमे

आपके लिए सम्मलित किये गए हैं. उम्मीद हैं आपकी सफरमे ऐसे विचार आपके जीवनको यथार्थ

मार्गदर्शन कर पायेंगे.


जीवनकी संध्या समयमें

Mar 20, 2024 12:38 PM, Harish Panchal 'Hriday'

जीवनकी संध्या समयमें ,आइये, हम

अपना बोज हल्काकरते हुए

 

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चलो, हम हो लें उनके साथ, करे जो कृष्णके के जैसी बात

Feb 21, 2024 12:06 PM, Harish Panchal - ('hriday')

जिस देशके प्रधान मंत्री पहले दुनियाकी बड़ी कोन्फरंसमें हाथ बाँधकर, मौन हो कर खड़े रहते थे

आज हमारे प्रधान मंत्री की दहाड़  और मार्गदर्शनके पीछे दुनियाको एक नई दिशा दिखती है.

आज हम इतना ऊपर उठ चुके हैं कि हम ‘Super Powers’ की कक्षामें आ चुके हैं.

अब हमें नीचे नहीं गिरना है. हमने ‘विकासकी मशाल’ पकड़ी है , जो सबको राह दिखानी है

 

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आइए आज थोडा सा दुःख मांग लें

Feb 22, 2024 12:11 PM, Harish Panchal ('hriday')

शायद इस लिए कि आत्माका मूल स्वभाव ही सुख है

‘सत्, चित्त और आनंद’ ये ही आत्माके मूल तत्त्व है

आज भी हमारी प्रार्थनाओं में सुख की मांग ही होती है.

मानव जीवनमे हर जगह, हर समय सुख ही सुख हो यह मुमकीन नहीं.

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उनका इंतज़ार आज भी है

Feb 19, 2024 08:04 PM, Harish Panchal ('Hriday

हमारी जिंदगीके ये रास्ते, जिन पर हम चल रहे हैं

उसके हर कदम ऊपर हमारे साथी एक के बाद एक हमसे बिछड़ते जा रहे हैं

ये वोह साथी थे जिनके साथ हमने कोई ख़्वाब देखे थे, कुछ वादे किये थे

उन्हें हमारे दिलकी गहराईके गुलशनसे प्रेमके कुछ फूल तोडके दिए थे

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एक तरफ महिलाएं और एक तरफ स्वामी

Feb 19, 2024 08:13 PM, Harish Panchal ('hriday')

हरे राम, हरे राम; राम राम हरे हरे,

एक बड़ी समस्या लेकर आये पास तेरे .

 

हमारी कुछ सुलज़ा दे उलज़न; आज किसे हम करें नमन

सारे विश्वकी महीलाओं या महर्षि दयानन्द ?

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२०७७ का नया साल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है

Feb 21, 2024 11:54 AM, हरीश पंचाल (ह्रदय )

आइए  कुछ अंधेरों से हम नए सालके उजालों में प्रवेश करें 

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दिलोंकी दीवारोंसे

तन्हाइओंकी दीवारोंसे

प्रकृतिके सागरकी तरफ

Feb 19, 2024 09:02 PM, Harish Panchal - 'Hriday'

तन्हाइओंकी दीवारोंपर

गीले दिलके शिकवे लिखना

अच्छा लगता है

 

फिर उन्ही दीवारोंके सामने बैठकर

हर शिकवेको दोहराते रहना

अच्छा लगता है

 

दोहराते दोहराते, उन्ही दीवारोंके सामने

बैठ कर आँसू बहाते रहना

अच्छा लगता है 

 

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मैं चिंगारी हूँ

Feb 21, 2024 11:52 AM, Harish Panchal ('hriday')

“चिंगारी” !

मैं सिर्फ तीन अक्षरों का एक शब्द हूँ.

मैं क्या, क्या कर सकती हूँ उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते.

मेरे रहने के बहुत सारे मुकाम हैं.

मैं जब शांत होती हूँ तब मुझे कोई देख भी नहीं पाता.

मेरे कई रूप है. मैं जब दिखती हूँ तो जलते हुए छोटे बिंदु के रूप में होती हूँ

मुजे कोई हवा दे दे, कोई परेशान करे तो मैं ज्वाला का रूप धारण करती हूँ.

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हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

Feb 22, 2024 12:04 PM, Harish Panchal ('hriday')

हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

गिरके संभलना सिखा था और गिरके उठे तो

आसमान में उड़ना भी सिखा था

वसुधैव कुटुम्बकम

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चाहना की चाहत में सारा जीवन गंवाया

खुद अपनेमे ही झाँक कर नहीं देखा

Feb 22, 2024 12:40 PM, Harish Panchal ('hriday')

सोचा था इश्वर ऊपर रहेता है वहांसे वह सब देखता होगा,

तो उसे यह फ़रियाद पहुंचाई “बता, तेरी दुनियामें चाहत कहाँ है?”

 

तो दिलके अंदरसे आवाज़ उठी “मैं चाहतका खजाना ले कर तेरे अंदर ही बैठा हूँ”

सारी दुनियामें खोजनेके बजाय तूने खुदको चाहा होता तो दुनियाकी चाहत तुजे मिल चूकी होती”

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महामारीमे आइये, हमारे अंदर परमात्मासे संपर्क करें

Mar 21, 2020 12:35 AM, Harish Panchal

इस दुनियामे लोग अच्छे  भी हैं, बुरे भी हैं

कोई बहुत ही अच्छे हैं तो कोई अनहद बुरे हैं

अच्छाई जब बुलंदीओं को छू ले तो वे ईश्वरकी इबादत होती है

जब बूराई अपनी सीमा छोड़ देती है, वे सारी दुनियामें तबाही फैलाती है

हमने आध्यात्मकी  और तत्वज्ञानकी कई किताबों में पढ़ा है

की खराब कर्म करने वाले राक्षश योनिमे जन्म लेते हैं

लेकन हमने देखा है वे जन्म तो मनुष्य योनिमे ही लेते है

लेकिन कर्म राक्षसों जैसे करते हैं, जैसे निर्भयाके कातिलोंने कर दिखाये.

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आइये, हम भी अपनी Private Bank बनायें

(सोचिये हम कहाँ जा रहे हैं !)

Mar 09, 2020 11:09 AM, Harish Panchal - Hriday

जीवनमे अमीर होना है तो अपना बैंक खोलो

पांचसौ, हज़ार, लाख, दस लाख  को छोडो

लालसाओं को ऊंची रखो, करोड़ों की सोचो

नौकरी में क्या रखा है, लोगों को नौकर रखो

खुदको बड़ा दिखानेको औरों को नीचा दिखाओ

फ्रेंड्स बनाओ, अपना सर्कल बढाओ, नेटवर्क बढाओ

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२०२० की सुबहमे आइए, हम एक-जूट हो जायें  

Dec 31, 2019 11:14 PM, Harish Panchal - Hriday

२०२० के नये सालकी

चौकट पर हम आ खड़े हैं.

हमारा धेयेय क्या है,

हमें कहाँ जाना है,

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“सत्य मेव जयते” 

Dec 21, 2019 11:57 AM, Harish Panchal - Hriday

हम जहाँ पले, बडे हुए, पढ़े, कमाए, परिवार बनाया, ज्ञान पाया,

यही धरती हमारी मा है, पिता है, गुरु है और ईश्वर भी है,

जो यहाँ नहीं जन्मे थे, वे आये, उन्हें भी इसी धरती ने सहारा दिया,

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‘जीवन-मूल्यों’ जैसी कोई चीज़ बाकी बची है क्या ?

Dec 06, 2019 10:15 PM, हरीश पंचाल - ह्रदय

जीवन कि सिढियो से प्रगति की ऊन्चाइऑ को हांसिल करने के बजाय, हम दिन-प्रतिदीन नीचे और नीचे ही गिरते जाते हैं. पीढ़ीओं से गिरे हुए जिन संस्कारों के साथ हम नया जन्म ले कर आते हैं, वे निम्नतर संस्कार प्रत्येक जन्म में और नीचे गिरते रहते हैं. जीवनके मूल्यों का अवसान हो चूका है और फिर भी हम हमेशां मरते रहते हैं, जब भी कोई बुरी सोच को पालते हुए निंदनीय कार्य करते हैं. ऊपर से नीचे तक सब गिरे हुए हैं.

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यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौनसा मुकाम है ..

Feb 18, 2024 06:29 PM, Harish Panchal - Hriday

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

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यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा मुकाम है ..

Dec 06, 2019 10:37 PM, Harish Panchal - Hriday

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

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दिया जलता रहे साल भर 

Oct 27, 2019 11:42 PM, Harish Panchal

२०७६ के नए वर्षकी ये सभी शुभ कामनाएं

आप सभी के लिए साकार हों ऐसी प्रार्थना.

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उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?

Sep 28, 2019 08:15 PM, Harish Panchal

जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है

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बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय

Oct 06, 2019 10:41 PM, Harish Panchal

आज गुरु-पूर्णीमाँ का पवित्र दिवस है.

आईएहमारे सबके अंतरात्मा में बैठे हुए

परम गुरु’ को हम प्रणाम करें,

और संत कबीरजीकी पंक्तियाँ उन्हें सुनाएं

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जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वे कहाँ है...?

Sep 28, 2019 08:31 PM, Harish Panchal

देशमे कई कितने चुनाव आते रहेअलगअलग पक्षों के लोग लड़ते रहेंएक दूसरेसे झगड़ते रहेमारते रहेमरते रहेसरकार बनाते रहेविपक्ष बनाते रहेआम जनताके पैसोंको लूटते रहेढेर सारे – लाखोंकरोड़ों रुपये अपनी तिजोरिमे जमा करते रहे

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आइए हम सब हमारे भिष्म पितामहके साथ हो लें

Sep 28, 2019 08:29 PM, Harish Panchal

कोई एक ऐसी हस्ती कई युगोंके बाद, कई सालोंके बाद इस पृथ्वी पर जन्म लेती है

जिसकी सोच इतनी गहेरी, ऊंची और इतनी गहन होती है जो सभी मुश्किलोंके सुझाव ला सके,

जिसकी निर्णायक शक्ति इतनी तेज़, इतनी सही दिशामे होती है, और कभी डगमगाती नहीं,

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