‘जीवन-मूल्यों’ जैसी कोई चीज़ बाकी बची है क्या ?

Dec 06, 2019 10:15 PM - हरीश पंचाल - ह्रदय

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हम कहाँ जा चुके हैं ? हम कहाँ जा रहे हैं ? आखिर मे कहाँ होंगे ?

 

अखबारों में, TV-न्यूज़ पर, मुसाफ़री दरम्यान, रोजिंदा व्यवहांरमें, जहां भी देखें, पढ़े, सूने, बस गिरावट के, अमानवीयता के, मार-तोड़ के, कौभांडों के ही समाचार पढनेको मिल रहे हैं. ना तो दिलों में शान्ति है, ना संतोष, ना उमंग, ना उत्साह, ना कुछ रचनात्मक करनेकी आकांक्षा.

जीवन कि सिढियो से प्रगति की ऊन्चाइऑ को हांसिल करने के बजाय, हम दिन-प्रतिदीन नीचे और नीचे ही गिरते जाते हैं. पीढ़ीओं से गिरे हुए जिन संस्कारों के साथ हम नया जन्म ले कर आते हैं, वे निम्नतर संस्कार प्रत्येक जन्म में और नीचे गिरते रहते हैं. जीवन के मूल्यों का अवसान हो चूका है और फिर भी हम हमेशां मरते रहते हैं, जब भी कोई बुरी सोच को पालते हुए निंदनीय कार्य करते हैं. ऊपर से नीचे तक सब गिरे हुए हैं.

गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाना यह ऊंची मानवता का उद्देश रहा है. लेकिन हम जिस युग में जी रहे हैं वहां कौन किसे ऊपर उठाने की क्षमता रखता है ? सभी तो गिरे हुए हैं ! भौगोलिक रचना की समानता में जब कोई भूकंप उठता है तब जमीन, मकान, रास्तें तूट कर अस्त-व्यस्त हो जाते हैं. हमारी मानवीय समाज रचना और दिमागी सोच में तथा संस्कारों की मौजूदा हालत में भी ऐसा कोई भूकंप आना ज़रूरी है, जब खोये हुए लोगों की विचार और आचार संहिता में परिवर्तन आ सकें और समाज के अधिकाँश प्रजा-जन नीति के रास्तों पर अपनी सफ़र आगे बढा सकें.  आइए हम सब मिलकर दुआ मांगें:

 

रिध्धि दे, सिध्धि दे, अष्ट नव निधि दे, वंश में वृध्धि दे बाकबानी,

ह्रदयमे ज्ञान दे, चित्त में ध्यान दे, अभय वरदान दे शम्भुरानी

दु:ख को दूर कर, सुख भरपूर कर, आश सम्पूर्ण कर दास जानी

सज्जन सो प्रीत दे, कुटुंब को हीत दे, जंग में जीत दे मा भवानी   

यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौनसा मुकाम है ..

Feb 18, 2024 06:29 PM - Harish Panchal - Hriday

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

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बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय

Oct 06, 2019 10:41 PM - Harish Panchal

आज गुरु-पूर्णीमाँ का पवित्र दिवस है.

आईएहमारे सबके अंतरात्मा में बैठे हुए

परम गुरु’ को हम प्रणाम करें,

और संत कबीरजीकी पंक्तियाँ उन्हें सुनाएं

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आइये, हम भी अपनी Private Bank बनायें

(सोचिये हम कहाँ जा रहे हैं !)

Mar 09, 2020 11:09 AM - Harish Panchal - Hriday

जीवनमे अमीर होना है तो अपना बैंक खोलो

पांचसौ, हज़ार, लाख, दस लाख  को छोडो

लालसाओं को ऊंची रखो, करोड़ों की सोचो

नौकरी में क्या रखा है, लोगों को नौकर रखो

खुदको बड़ा दिखानेको औरों को नीचा दिखाओ

फ्रेंड्स बनाओ, अपना सर्कल बढाओ, नेटवर्क बढाओ

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महामारीमे आइये, हमारे अंदर परमात्मासे संपर्क करें

Mar 21, 2020 12:35 AM - Harish Panchal

इस दुनियामे लोग अच्छे  भी हैं, बुरे भी हैं

कोई बहुत ही अच्छे हैं तो कोई अनहद बुरे हैं

अच्छाई जब बुलंदीओं को छू ले तो वे ईश्वरकी इबादत होती है

जब बूराई अपनी सीमा छोड़ देती है, वे सारी दुनियामें तबाही फैलाती है

हमने आध्यात्मकी  और तत्वज्ञानकी कई किताबों में पढ़ा है

की खराब कर्म करने वाले राक्षश योनिमे जन्म लेते हैं

लेकन हमने देखा है वे जन्म तो मनुष्य योनिमे ही लेते है

लेकिन कर्म राक्षसों जैसे करते हैं, जैसे निर्भयाके कातिलोंने कर दिखाये.

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यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा मुकाम है ..

Dec 06, 2019 10:37 PM - Harish Panchal - Hriday

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

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