यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौनसा मुकाम है ..
सत्ता लोलुपता ने ह्रदय से विवेक, नीति-नियमोको निकाल फेंका
कुर्सीओं के मोह ने मनमे उद्दंडता, तिरस्कार, बैर – भाव को सींचा
अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा
सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे
हम नेता हैं, लाइन हमसे शुरू होती है, चापलूसी,‘वाह-वाही’ हमारी दासी है
रोटी के लिये काम करना गंवारा नहीं, बैठ के करोडों कमाना हमें आता है
सिर्फ अपने लिये ही नहीं, आनेवाली कई पीढियोंके लिए हम जमा कर लेते हैं
जमाना हम से है, हम जमानेसे नहीं, ताकत नहीं किसीकी कि हमसे पंगा ले सके
काम हम करें या ना करें, देशके इतिहासमे हमारा नाम होना, हमारे चर्चे होने चाहिए
नेता है हम, हमारी लायकात हो, या ना हो, हम चल पड़े तो दुनिया पीछे होनी चाहिए
आखिरमे ‘जय हिन्द’ तो बोलना ही पड़ेगा, नेता जो हम ठहरे
उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?
जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है
हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,
हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,
गिरके संभलना सिखा था और गिरके उठे तो
आसमान में उड़ना भी सिखा था
वसुधैव कुटुम्बकम
आइए आज थोडा सा दुःख मांग लें
शायद इस लिए कि आत्माका मूल स्वभाव ही सुख है
‘सत्, चित्त और आनंद’ ये ही आत्माके मूल तत्त्व है
आज भी हमारी प्रार्थनाओं में सुख की मांग ही होती है.
मानव जीवनमे हर जगह, हर समय सुख ही सुख हो यह मुमकीन नहीं.
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय
आज गुरु-पूर्णीमाँ का पवित्र दिवस है.
आईए, हमारे सबके अंतरात्मा में बैठे हुए
‘परम गुरु’ को हम प्रणाम करें,
और संत कबीरजीकी पंक्तियाँ उन्हें सुनाएं”
चाहना की चाहत में सारा जीवन गंवाया
खुद अपनेमे ही झाँक कर नहीं देखा
सोचा था इश्वर ऊपर रहेता है वहांसे वह सब देखता होगा,
तो उसे यह फ़रियाद पहुंचाई “बता, तेरी दुनियामें चाहत कहाँ है?”
तो दिलके अंदरसे आवाज़ उठी “मैं चाहतका खजाना ले कर तेरे अंदर ही बैठा हूँ”
सारी दुनियामें खोजनेके बजाय तूने खुदको चाहा होता तो दुनियाकी चाहत तुजे मिल चूकी होती”
{{commentsModel.comment}}