आध्यात्म के रास्तों पर


 

हमारे जीवनमे हम जिन परेशानीओंसे गुज़रते हैं, जिन रुकावटों पर उलज़ जाते हैं, रोजिंदाना जिन्दगीमे करने जैसे कार्योसे विमुख हो

कर कोई गलत रास्ता पकड़ लेते हैं, अगर हरेक जनमका मकसद ईश्वरको समजनेका है और उनके नज़दीक पहुंचना है तो हम कहाँ तक

पहुँच पाए हैं? नीतिका रास्ता हमें अगर मालूम भी है फिर भी उन रास्तों पर चलने से हमें कौन रोक रहा है? जीवनका उदेश अगर

मोक्ष पाना है तो मोक्ष पानेके लिए हमें क्या करना चाहिए उसका हमें पता नहीं है. मनमे हमेशा उठती रहती इच्छाएँ, वासनाएँ, लोभ,

लाम, क्रोध जैसे नकारात्मक और विनाश्की तरफ ले जाने वाले तत्त्वों के ऊपर हम काबू क्यों कर नहीं पाते?

हमारे शरीरसे जो सफ़र हम आगे बढ़ा रहे हैं, हकिकतमे यह सफ़र तो आत्माकी है. इसी आत्माको लेकर हरेक जन्म में शरीर बदल कर

आते रहे फिर भी उन आध्यात्मिक रास्तों पर चलनेसे क्यों इतने दूर रहे? इस जन्ममें हमारा शरीर नहीं रहेगा फिर भी हमारी आत्माकी

सफ़र तो आगे चलते ही रहने वाली है. यह ज्ञान हमें हो सके इस मक्सद्से इस विभागने ऐसे आलेखोंको सम्मलित किया गया है जो

हमारे अंत:करणमें आद्यात्मिक ज्ञानका प्रकाश फैला सके.


भगवानकी प्रतिज्ञा

Dec 28, 2023 10:46 PM, Harish Panchal 'hriday'

आइए, पहले हम सून लें कि भगवानने हम सबके लिए क्या प्रतिज्ञा की है:

“मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,

तेरे सब मार्ग खोल ना दूं तो कहना.

 

मेरे लिए खर्च करके तो देख,

कुबेरका भण्डार खोल ना दूं तो कहना.

 

मेरे लिए कडवे वचन सुनकर तो देख,

कृपा ना बरसे तो कहना.

 

 

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वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान

हमारा हाथ थामकर पहुंचाएगा मोक्ष तक

Feb 17, 2021 11:59 PM, Harish Panchal ('hriday')

हमें मिला हुआ जीवन बिताने हम आये हैं यहाँ तो जुछ कर के जायेंगे,

वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान कर के जाएंगे.

कर्तव्यनिष्ठ बन कर नीति, आत्मविश्वास और श्रध्धासे जीते जाएंगे

निराश और हारे हुए लोगोंको उनके हाथ पकड़ कर मानवताके रास्तों पर चलते जाएंगे

“सिर्फ धैर्य-हिन् जीवन जीने” के बजाय, देश, समाज और परिवारोंके लिए कुछ करके जाएंगे

कल हम जन्मे, आज जी लिये और कल गुज़र जायेंगे, तब साथमें क्या ले कर जायेंगे?

इस जीवनके उस पार इंतज़ार कोई कर रहा है हमारा, वोह पूछेगा: “क्या पाया, इस जीवनमे?

“सिर्फ जी लिये या कुछ हांसिल किया, या फिर आये खाली हाथ?”

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इश्वर भी भला ऐसी खिलवाड़ करते हैं क्या?

Jun 11, 2020 12:56 AM, Harish Panchal ('hriday')

जब तूने मुझे इस धरती पर भेजा था

तब हाथमे सिर्फ एक पर्चा थमा दिया था.

“तुम्हारे  पूरे जीवनकी कुंडली इसमे मिलेगी” तुमने कहा था,

“जैसे जैसे बड़े होते जाओगे, तब पढ़ते रहना” यह भी कहा था.

मैंने चाहा था मेरे पूरे जीवन की कहानी उसमे मैं पढ़ पाउँगा.

लेकिन माँ ने मना किया था: “रोज पढ़ा नहीं करते, ये विधाता के लेख हैं.”

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मैं ईश्वर हूँ, मै यहीं हूँ,

Jun 03, 2020 07:17 PM, Harish Panchal ('hriday')

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत

अभुथान्म्धार्मस्य तदात्मानं स्रुज्यामहम”

 

जब जब धर्मकी हानि होती है, अधर्म बढ़ता है,

तब मैं आता हूँ, और अवतार लेता हूँ.

 

कुरुक्षेत्र की रण भूमि में मैंने यह भी कहा था :

तब भी मैंने इसी लिए ही अवतार लिया था.

 

“परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे””

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मन-मंदिरमे शान्ति की प्रतिमा बिठाएं

May 07, 2020 10:01 PM, Harish Panchal ('hriday')

जो जीवन-शैलीके साथ जी रहे हैं,

नीतिके जो मार्ग थे उनसे दूर हो चले हैं

औरों के प्रति जो द्वेष-भावसे जी रहे हैं

इसी लिए तो हम सब दू:खी हैं

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देवों के देव, महा देव,

जो मौजूद थे जब हम नहीं थे,

Feb 21, 2020 12:29 AM, Harish Panchal - 'Hriday'

कितनी ही पीढियां आती रहे, जाती रहे.

जो बिराजमान है ऐश्वर्य की उस ऊँचाई पर

जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.

उस परम ‘कल्याण तत्व’ को हम शाष्टांग प्रणाम करें ,

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"अहं ब्रह्मास्मि"

Oct 27, 2019 11:49 PM, Harish Panchal - 'Hriday'

ईश्वर के प्रति जिनकी श्रध्धा मजबूत है वे जानते हैं कि हमारे आस पास जो भी हो रहा है उसके पीछे कोई तो मकसद अवश्य है. कोई अपने पूर्व जन्मोंके कर्मों का भुगतान कर रहा है , कोई नए कर्मों की लकीरें खिंच रहा है तो कोई पिछले जन्मोके कर्मों से बाहर आने का तरीका खोज रहा है.

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