वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान
हमारा हाथ थामकर पहुंचाएगा मोक्ष तक
हमें मिला हुआ जीवन बिताने हम आये हैं यहाँ तो जुछ कर के जायेंगे,
वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान कर के जाएंगे.
कर्तव्यनिष्ठ बन कर नीति, आत्मविश्वास और श्रध्धासे जीते जाएंगे
निराश और हारे हुए लोगोंको उनके हाथ पकड़ कर मानवताके रास्तों पर चलते जाएंगे
“सिर्फ धैर्य-हिन् जीवन जीने” के बजाय, देश, समाज और परिवारोंके लिए कुछ करके जाएंगे
कल हम जन्मे, आज जी लिये और कल गुज़र जायेंगे, तब साथमें क्या ले कर जायेंगे?
इस जीवनके उस पार इंतज़ार कोई कर रहा है हमारा, वोह पूछेगा: “क्या पाया, इस जीवनमे?”
“सिर्फ जी लिये या कुछ हांसिल किया, या फिर आये खाली हाथ?”
हमारे पुण्यका पल्ला खाली होगा तो जहां से चले थे वहीँ कोई आकर वापस छोड़ जाएगा
लेकिन सत्कर्मोंका पल्ला भरा हुआ होगा तो आस्मान की उंचाईओं तक ले कर जाएगा हमें
कई युगोंसे मनुष्य शरीरकी चद्दर ओढ़े हम आते रहे यहाँ, फिर भी आगेकी सफ़र लम्बी है काफी
चौर्यासी लाख जन्मोसे भरे हुए झोलेसे जब छिलकते होंगे हमारे पुण्य, तब खडा होगा वह हाथ फैलाके
और तब कह रहा होगा वह परवरदिगार: “बेटे, तूने मोक्ष पाने में क्यों इतनी देर लगा दी?”
और आहिस्तासे पास आ कर कहेगा: “तू जो है, वही मैं हूँ, बस एक बार बोल दे “अहम् ब्रह्मास्मि.” .
"अहं ब्रह्मास्मि"
ईश्वर के प्रति जिनकी श्रध्धा मजबूत है वे जानते हैं कि हमारे आस पास जो भी हो रहा है उसके पीछे कोई तो मकसद अवश्य है. कोई अपने पूर्व जन्मोंके कर्मों का भुगतान कर रहा है , कोई नए कर्मों की लकीरें खिंच रहा है तो कोई पिछले जन्मोके कर्मों से बाहर आने का तरीका खोज रहा है.
देवों के देव, महा देव,
जो मौजूद थे जब हम नहीं थे,
कितनी ही पीढियां आती रहे, जाती रहे.
जो बिराजमान है ऐश्वर्य की उस ऊँचाई पर
जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.
उस परम ‘कल्याण तत्व’ को हम शाष्टांग प्रणाम करें ,
इश्वर भी भला ऐसी खिलवाड़ करते हैं क्या?
जब तूने मुझे इस धरती पर भेजा था
तब हाथमे सिर्फ एक पर्चा थमा दिया था.
“तुम्हारे पूरे जीवनकी कुंडली इसमे मिलेगी” तुमने कहा था,
“जैसे जैसे बड़े होते जाओगे, तब पढ़ते रहना” यह भी कहा था.
मैंने चाहा था मेरे पूरे जीवन की कहानी उसमे मैं पढ़ पाउँगा.
लेकिन माँ ने मना किया था: “रोज पढ़ा नहीं करते, ये विधाता के लेख हैं.”
भगवानकी प्रतिज्ञा
आइए, पहले हम सून लें कि भगवानने हम सबके लिए क्या प्रतिज्ञा की है:
“मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,
तेरे सब मार्ग खोल ना दूं तो कहना.
मेरे लिए खर्च करके तो देख,
कुबेरका भण्डार खोल ना दूं तो कहना.
मेरे लिए कडवे वचन सुनकर तो देख,
कृपा ना बरसे तो कहना.
मैं ईश्वर हूँ, मै यहीं हूँ,
“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत
अभुथान्म्धार्मस्य तदात्मानं स्रुज्यामहम”
जब जब धर्मकी हानि होती है, अधर्म बढ़ता है,
तब मैं आता हूँ, और अवतार लेता हूँ.
कुरुक्षेत्र की रण भूमि में मैंने यह भी कहा था :
तब भी मैंने इसी लिए ही अवतार लिया था.
“परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे””
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