देवों के देव, महा देव,

जो मौजूद थे जब हम नहीं थे,

Feb 21, 2020 12:29 AM - Harish Panchal - 'Hriday'

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देवों के देव, महा देव,

जो मौजूद थे जब हम नहीं थे,

जो आज है हमारे बीच ,

और जो हमेशा रहेंगे ,

चाहे हमारे बाद

कितनी ही पीढियां आती रहे, जाती रहे.

जो बिराजमान है ऐश्वर्य की उस ऊँचाई पर

जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.

उस परम ‘कल्याण तत्व’ को हम शाष्टांग प्रणाम करें ,

जिनका नाम मात्र रट ते रहनेसे हम अपने आपको ‘पावन’ महेसूस करते हैं ..

उनकी महिमा खुद उनकी अपनी पहेचानसे ..

कैलास की ऊंची शिखरों से उठती हुई शांत, गहरी और पवित्र ध्वनी द्वारा :

“शिवोहम शिवोहम”

Harish Panchal – “हृदय”

 

निर्वाण षट्कम

 मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम्   श्रोत्र जिह्वे   घ्राण नेत्रे

  व्योम भूमिर्न तेजॊ  वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 1

मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं

मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं

मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

  प्राण संज्ञो  वै पञ्चवायु:  वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोश:

 वाक्पाणिपादौ   चोपस्थपायू चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् 2

मैं न प्राण हूं,  न ही पंच वायु हूं

मैं न सात धातु हूं,

और न ही पांच कोश हूं

मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्‍सर्जन की इन्द्रियां हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

 

 मे द्वेष रागौ  मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:

 धर्मो  चार्थो  कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 3

न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह

न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या

मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

 पुण्यं  पापं  सौख्यं  दु:खम्  मन्त्रो  तीर्थं  वेदार्  यज्ञा:

अहं भोजनं नैव भोज्यं  भोक्ता चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् 4

मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं

मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ

न मैं भोजन(भोगने की वस्‍तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न मे मृत्यु शंका  मे जातिभेद:पिता नैव मे नैव माता  जन्म:

 बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 5

न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव

मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था

मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य,

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्

 चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 6

मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं

मैं चैतन्‍य के रूप में सब जगह व्‍याप्‍त हूंसभी इन्द्रियों में हूं,

न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं,

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि‍, अनंत शिव हूं।

(‘इशा’ पूज्य सध्गुरुजी की कृपा के अंतर्गत )

(https://isha.sadhguru.org/in/hi/wisdom/article/nirvana-shatakam-rag-ba-rang-sai-pare)

 

मन-मंदिरमे शान्ति की प्रतिमा बिठाएं

May 07, 2020 10:01 PM - Harish Panchal ('hriday')

जो जीवन-शैलीके साथ जी रहे हैं,

नीतिके जो मार्ग थे उनसे दूर हो चले हैं

औरों के प्रति जो द्वेष-भावसे जी रहे हैं

इसी लिए तो हम सब दू:खी हैं

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भगवानकी प्रतिज्ञा

Dec 28, 2023 10:46 PM - Harish Panchal 'hriday'

आइए, पहले हम सून लें कि भगवानने हम सबके लिए क्या प्रतिज्ञा की है:

“मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,

तेरे सब मार्ग खोल ना दूं तो कहना.

 

मेरे लिए खर्च करके तो देख,

कुबेरका भण्डार खोल ना दूं तो कहना.

 

मेरे लिए कडवे वचन सुनकर तो देख,

कृपा ना बरसे तो कहना.

 

 

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"अहं ब्रह्मास्मि"

Oct 27, 2019 11:49 PM - Harish Panchal - 'Hriday'

ईश्वर के प्रति जिनकी श्रध्धा मजबूत है वे जानते हैं कि हमारे आस पास जो भी हो रहा है उसके पीछे कोई तो मकसद अवश्य है. कोई अपने पूर्व जन्मोंके कर्मों का भुगतान कर रहा है , कोई नए कर्मों की लकीरें खिंच रहा है तो कोई पिछले जन्मोके कर्मों से बाहर आने का तरीका खोज रहा है.

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इश्वर भी भला ऐसी खिलवाड़ करते हैं क्या?

Jun 11, 2020 12:56 AM - Harish Panchal ('hriday')

जब तूने मुझे इस धरती पर भेजा था

तब हाथमे सिर्फ एक पर्चा थमा दिया था.

“तुम्हारे  पूरे जीवनकी कुंडली इसमे मिलेगी” तुमने कहा था,

“जैसे जैसे बड़े होते जाओगे, तब पढ़ते रहना” यह भी कहा था.

मैंने चाहा था मेरे पूरे जीवन की कहानी उसमे मैं पढ़ पाउँगा.

लेकिन माँ ने मना किया था: “रोज पढ़ा नहीं करते, ये विधाता के लेख हैं.”

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वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान

हमारा हाथ थामकर पहुंचाएगा मोक्ष तक

Feb 17, 2021 11:59 PM - Harish Panchal ('hriday')

हमें मिला हुआ जीवन बिताने हम आये हैं यहाँ तो जुछ कर के जायेंगे,

वर्तमानके झोलेमें हमारा योगदान कर के जाएंगे.

कर्तव्यनिष्ठ बन कर नीति, आत्मविश्वास और श्रध्धासे जीते जाएंगे

निराश और हारे हुए लोगोंको उनके हाथ पकड़ कर मानवताके रास्तों पर चलते जाएंगे

“सिर्फ धैर्य-हिन् जीवन जीने” के बजाय, देश, समाज और परिवारोंके लिए कुछ करके जाएंगे

कल हम जन्मे, आज जी लिये और कल गुज़र जायेंगे, तब साथमें क्या ले कर जायेंगे?

इस जीवनके उस पार इंतज़ार कोई कर रहा है हमारा, वोह पूछेगा: “क्या पाया, इस जीवनमे?

“सिर्फ जी लिये या कुछ हांसिल किया, या फिर आये खाली हाथ?”

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