आधा जीवन यूँ ही बिता बगैर जाने  “किंचित गीता”


अनगिनत जन्मों से हम सब इस पृथ्वीके ऊपर आते रहें हैं. थोड़े वर्षों का जीवन जे कर, बार-बार मरते रहे हैं  और फिर ९ महीने अँधेरी जेल से निकल कर और भी ज्यादा परेशान होने और कई प्रकारके दू:खोंसे व्यथित होकर मरते रहे हैं . फिर भी आते रहे हैं.  यही क्रम युगों से चलता आया है . लेकिन यहाँ आने की बाद, जन्म और मृत्युके बीचकी सफ़र के दरम्यान हमें क्या करना है, जीवनका क्या उद्देश है,  इस उद्देशको परिपूर्ण करनेके लिए हमारी जीवनशैली कैसी बनानी चाहिए, हमें क्या हांसिल करना चाहिए, किन वस्तुओंका, किन प्रथाओंका, किन परम्पराओंका  त्याग करना चाहिए इन सब मूल्योंका ज्ञान होना आवश्यक है. भगवद गीता ही ऐसा पर्याय प्रदान करती है. हमारे रोज़ -बरोज़ के जीवन-क्रममे हम इसका थोडा-थोडा अध्ययन करते रहें और इसको  ‘गीतामय’ बनाएं  तो जीवनकी समस्याओंका सुझाव मिलते रहेंगे. “सिर्फ हमारे भाग्य्मे ही सब  कठीनाइओं  क्यों आती रहती है” ऐसे मिथ्या प्रश्नों हमारे दिमागमे नहीं उठे.


Bhagavad Geeta Shloka Pearls

By Courtosy of Dr Sanjiv Haribhakkti

Adhyaya 1

Arjun Vishad Yog

May 14, 2025 12:47 AM, Harish Panchal 'Hriday' Interpreter

धृतराष्ट्र उवाच

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।

58

Read more

अर्जुनविषादयोग”

Aug 15, 2020 02:44 PM, Harish Panchal ('hriday')

आज जन्माष्टमी का अति पवित्र दिवस है.

आज के दिन दुनियाके शाश्त्रोंमें जो लिखे गए थे उनमेसे एक अग्रणी, महा पवित्र और आध्यात्मिक ग्रंथो में अति मूल्यवान ‘श्रीमद भगवद गीता’ का प्रत्यक्ष पठन योगेश्वर भगवान् श्री कृष्णने किया था. यह महान विभूति, जिसने धर्म और अधर्मके युध्ध्मे रणभूमिके बीचोबीच अर्जुनको मानवता धर्मका ज्ञान दिया था उनका आज जन्म दिन है. बहुत ही पवित्र दिवस है और इस अवसरपर हम, आपके साथ मिलकर उनके दिव्य मार्गदर्शन को हमारे जीवनमे उतारनेके हेतु से पवित्र ‘गीता-गंगा’ में  स्नान करने जा रहे हैं.

वेद व्यासजी जब श्लोक के बाद श्लोक बोलते जा रहे थे तब उनका लिखा हुआ कुछ छूट ना जाये इस हेतुसे उन्होंने श्री गणेशजीको आग्रह किया कि  जैसे एक श्लोकका उच्चारण पूरा हो, गणेशजी को  एक छोटीसी भी भूल किये बगैर, अर्थ बदले बगैर  उसे लिख देना चाहिये. गणेशजीने स्वीकार तो किया, लेकिन खुदकी एक शर्त भी सूना दी, के वे बीचमे बिलकुल ही रुकेंगे नहीं. अगर बीचमे रुकना पड़ता है, तो वे उठके चले जायेंगे. वेद व्यासजी के पास और कोई रास्ता नहीं था. और  तबसे सम्पूर्ण मानव जिवनको प्रकाशित करने वाली मार्ग दर्शिका ५००० वर्षोंसे हम  सबको जीवनका रास्ता दिखाए जा रही है.

1019

Read more