हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

Feb 22, 2024 12:04 PM - Harish Panchal ('hriday')

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हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

गिरके संभलना सिखा था और गिरके उठे तो

आसमान में उड़ना भी सिखा था

वसुधैव कुटुम्बकम

 

 

हम ने चलना सिखा था एक या डेढ़ साल की उम्र में,

बस तब से चल रहे हैं ईन रास्तों पर, महीने तो और, कई सालों बीत गए,

गिर के चलना सिखा था, चलते, चलते गिरना सिखा था, गिर के उठना भी तो था !

तो बस चलते रहे, गिरते रहे, फिर उठते रहे, चलते रहे, जैसे जैसे उम्र बढती चली,

गिरके संभालना भी सिखना पड़ा क्यों कि लोगों ने औरों को गिराना भी सिख लिया था

उनका डर था की जीवनकी दौड़ में कोई उनसे आगे ना निकल जाएँ .

तो हम चलते रहे, ऊपर उठते रहे, वे हमें गिराते रहे, हम सँभलते रहे, गिरके फिर उठते रहे.

जीवनका उद्देश आँखों के सामने था, फेफडों में साँसोंका जोश था, इरादोंमें बुलंदी थी,

भुजाओं में ताकत थी, पैरों में दौडने की चाहत थी दिलों में आसमान को छू लेने की तमन्ना थी.

बस, फीर और किसीसे कोई शिकवा ना था, हम थे, हमारी ऊम्मीदें थी,

ज़मीन से आसमान तक की उंचाई का  रास्ता साफ़ था, हमने उड़ान लगाईं,

आज हमारे पैर भले ही ज़मीन पर हों, दिल और दीमाग़ से हम आसमान से बाते करते हैं.

अब वे दिन दूर नहीं, जब ज़मीन पर हमारा घर हो, और आसमानमे हमारी ऑफिस हो,

और जब आसमान में हो तो भारत क्या, केनेडा क्या, जापान क्या, अमरीका क्या और फ्रांस क्या ?

हम सिर्फ पृथ्वी ऊपर ही नहीं, आसमान में भी हम वैश्विक परिवार बनायेंगे,

और आसमानकी बुलंदीओं से हम आवाज़ उठाएंगे

“वसुधैव कुटुम्बकम, वसुधैव कुटुम्बकम, वसुधैव कुटुम्बकम”

तब जा कर हमार परिवार कितना छोटा हो जाएगा !

 

 

 

आइए आज थोडा सा दुःख मांग लें

Feb 22, 2024 12:11 PM - Harish Panchal ('hriday')

शायद इस लिए कि आत्माका मूल स्वभाव ही सुख है

‘सत्, चित्त और आनंद’ ये ही आत्माके मूल तत्त्व है

आज भी हमारी प्रार्थनाओं में सुख की मांग ही होती है.

मानव जीवनमे हर जगह, हर समय सुख ही सुख हो यह मुमकीन नहीं.

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उनका इंतज़ार आज भी है

Feb 19, 2024 08:04 PM - Harish Panchal ('Hriday

हमारी जिंदगीके ये रास्ते, जिन पर हम चल रहे हैं

उसके हर कदम ऊपर हमारे साथी एक के बाद एक हमसे बिछड़ते जा रहे हैं

ये वोह साथी थे जिनके साथ हमने कोई ख़्वाब देखे थे, कुछ वादे किये थे

उन्हें हमारे दिलकी गहराईके गुलशनसे प्रेमके कुछ फूल तोडके दिए थे

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चलो, हम हो लें उनके साथ, करे जो कृष्णके के जैसी बात

Feb 21, 2024 12:06 PM - Harish Panchal - ('hriday')

जिस देशके प्रधान मंत्री पहले दुनियाकी बड़ी कोन्फरंसमें हाथ बाँधकर, मौन हो कर खड़े रहते थे

आज हमारे प्रधान मंत्री की दहाड़  और मार्गदर्शनके पीछे दुनियाको एक नई दिशा दिखती है.

आज हम इतना ऊपर उठ चुके हैं कि हम ‘Super Powers’ की कक्षामें आ चुके हैं.

अब हमें नीचे नहीं गिरना है. हमने ‘विकासकी मशाल’ पकड़ी है , जो सबको राह दिखानी है

 

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मैं चिंगारी हूँ

Feb 21, 2024 11:52 AM - Harish Panchal ('hriday')

“चिंगारी” !

मैं सिर्फ तीन अक्षरों का एक शब्द हूँ.

मैं क्या, क्या कर सकती हूँ उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते.

मेरे रहने के बहुत सारे मुकाम हैं.

मैं जब शांत होती हूँ तब मुझे कोई देख भी नहीं पाता.

मेरे कई रूप है. मैं जब दिखती हूँ तो जलते हुए छोटे बिंदु के रूप में होती हूँ

मुजे कोई हवा दे दे, कोई परेशान करे तो मैं ज्वाला का रूप धारण करती हूँ.

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उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?

Sep 28, 2019 08:15 PM - Harish Panchal

जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है

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