यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा मुकाम है ..

Dec 06, 2019 10:37 PM - Harish Panchal - Hriday

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सत्ता लोलुपता ने ह्रदय से विवेक, नीति-नियमोको निकाल फेंका

कुर्सीओं के मोह ने मनमे उद्दंडता, तिरस्कार, बैर – भाव को सींचा

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कार को रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

हम नेता हैं, लाइन हमसे शुरू होती है, चापलूसी,‘वाह-वाही’ हमारी दासी है   

रोटी के लिये काम करना गंवारा नहीं, बैठ के करोडों कमाना हमें आता है

सिर्फ अपने लिये ही नहीं, आनेवाली कई पीढियों के लिए हम जमा कर लेते हैं

जमाना हम से है, हम जमाने से नहीं, ताकत नहीं किसी की, कि हमसे पंगा ले सके

काम हम करें या ना करें, देश के इतिहास मे हमारा नाम होना, हमारे चर्चे होने चाहिए

नेता है हम, हमारी लायकात हो, या ना हो, हम चल पड़े तो दुनिया पीछे होनी चाहिए   

 

आखिरमे ‘जय हिन्द’ तो बोलना ही पड़ेगा, नेता जो हम ठहरे

उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?

Sep 28, 2019 08:15 PM - Harish Panchal

जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है

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दिया जलता रहे साल भर 

Oct 27, 2019 11:42 PM - Harish Panchal

२०७६ के नए वर्षकी ये सभी शुभ कामनाएं

आप सभी के लिए साकार हों ऐसी प्रार्थना.

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एक तरफ महिलाएं और एक तरफ स्वामी

Feb 19, 2024 08:13 PM - Harish Panchal ('hriday')

हरे राम, हरे राम; राम राम हरे हरे,

एक बड़ी समस्या लेकर आये पास तेरे .

 

हमारी कुछ सुलज़ा दे उलज़न; आज किसे हम करें नमन

सारे विश्वकी महीलाओं या महर्षि दयानन्द ?

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जीवनकी संध्या समयमें

Mar 20, 2024 12:38 PM - Harish Panchal 'Hriday'

जीवनकी संध्या समयमें ,आइये, हम

अपना बोज हल्काकरते हुए

 

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“सत्य मेव जयते” 

Dec 21, 2019 11:57 AM - Harish Panchal - Hriday

हम जहाँ पले, बडे हुए, पढ़े, कमाए, परिवार बनाया, ज्ञान पाया,

यही धरती हमारी मा है, पिता है, गुरु है और ईश्वर भी है,

जो यहाँ नहीं जन्मे थे, वे आये, उन्हें भी इसी धरती ने सहारा दिया,

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