दिया जलता रहे साल भर
नमस्कार.
आप सभीको २०७६ के नये वर्ष की शुभेच्छा.
आप जगमगाये, आपके दीप जगमगाये
सारे जहांन की खुशियाँ आपके घरमें भी आये
गंगा और यमुना जैसे निर्मल हो आप सबके मन
अम्बर और धरा जैसे स्वछ हो आपके तन
मा लक्ष्मी ले कर आये आपके घर बहुत सारा धन
आप जहां जाएं आपकी ज्योति चमचमाए
आप जगमगाये आपके दीप जगमगाये
२०७६ के नए वर्षकी ये सभी शुभ कामनाएं
आप सभी के लिए साकार हों ऐसी प्रार्थना.
और संसारमे, सबके घरों में
सबके दिल और दिमाग़ में हमेशा शांति बनी रहे
इस मकसद से हम प्रार्थना करें :
“ॐ सर्वेशां स्वस्तिर्भवतु । सर्वेशां शान्तिर्भवतु ।
सर्वेशां पुर्णंभवतु । सर्वेशां मङ्गलंभवतु ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः”
आइए आज थोडा सा दुःख मांग लें
शायद इस लिए कि आत्माका मूल स्वभाव ही सुख है
‘सत्, चित्त और आनंद’ ये ही आत्माके मूल तत्त्व है
आज भी हमारी प्रार्थनाओं में सुख की मांग ही होती है.
मानव जीवनमे हर जगह, हर समय सुख ही सुख हो यह मुमकीन नहीं.
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वे कहाँ है...?
देशमे कई कितने चुनाव आते रहे, अलग, अलग पक्षों के लोग लड़ते रहें, एक दूसरेसे झगड़ते रहे, मारते रहे, मरते रहे, सरकार बनाते रहे, विपक्ष बनाते रहे, आम जनताके पैसोंको लूटते रहे, ढेर सारे – लाखों, करोड़ों रुपये अपनी तिजोरिमे जमा करते रहे.
२०२० की सुबहमे आइए, हम एक-जूट हो जायें
२०२० के नये सालकी
चौकट पर हम आ खड़े हैं.
हमारा धेयेय क्या है,
हमें कहाँ जाना है,
उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?
जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय
आज गुरु-पूर्णीमाँ का पवित्र दिवस है.
आईए, हमारे सबके अंतरात्मा में बैठे हुए
‘परम गुरु’ को हम प्रणाम करें,
और संत कबीरजीकी पंक्तियाँ उन्हें सुनाएं”
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