जीवनकी संध्या समयमें
जीवनकी संध्या समयमें आइये, हम
अपना बोज हल्का करते हुए, संसारकी उल्ज़नोंसे ऊपर
ईश्वरके रास्तों पर चलें?
वहां हमें अकेले ही जाना है.
महामारीमे आइये, हमारे अंदर परमात्मासे संपर्क करें
इस दुनियामे लोग अच्छे भी हैं, बुरे भी हैं
कोई बहुत ही अच्छे हैं तो कोई अनहद बुरे हैं
अच्छाई जब बुलंदीओं को छू ले तो वे ईश्वरकी इबादत होती है
जब बूराई अपनी सीमा छोड़ देती है, वे सारी दुनियामें तबाही फैलाती है
हमने आध्यात्मकी और तत्वज्ञानकी कई किताबों में पढ़ा है
की खराब कर्म करने वाले राक्षश योनिमे जन्म लेते हैं
लेकन हमने देखा है वे जन्म तो मनुष्य योनिमे ही लेते है
लेकिन कर्म राक्षसों जैसे करते हैं, जैसे निर्भयाके कातिलोंने कर दिखाये.
चाहना की चाहत में सारा जीवन गंवाया
खुद अपनेमे ही झाँक कर नहीं देखा
सोचा था इश्वर ऊपर रहेता है वहांसे वह सब देखता होगा,
तो उसे यह फ़रियाद पहुंचाई “बता, तेरी दुनियामें चाहत कहाँ है?”
तो दिलके अंदरसे आवाज़ उठी “मैं चाहतका खजाना ले कर तेरे अंदर ही बैठा हूँ”
सारी दुनियामें खोजनेके बजाय तूने खुदको चाहा होता तो दुनियाकी चाहत तुजे मिल चूकी होती”
दिया जलता रहे साल भर
२०७६ के नए वर्षकी ये सभी शुभ कामनाएं
आप सभी के लिए साकार हों ऐसी प्रार्थना.
आइए हम सब हमारे भिष्म पितामहके साथ हो लें
कोई एक ऐसी हस्ती कई युगोंके बाद, कई सालोंके बाद इस पृथ्वी पर जन्म लेती है
जिसकी सोच इतनी गहेरी, ऊंची और इतनी गहन होती है जो सभी मुश्किलोंके सुझाव ला सके,
जिसकी निर्णायक शक्ति इतनी तेज़, इतनी सही दिशामे होती है, और कभी डगमगाती नहीं,
२०७७ का नया साल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है
आइए कुछ अंधेरों से हम नए सालके उजालों में प्रवेश करें
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