महामारीमे आइये, हमारे अंदर परमात्मासे संपर्क करें

Mar 21, 2020 12:35 AM - Harish Panchal

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इस दुनियामे लोग अच्छे  भी हैं, बुरे भी हैं

कोई बहुत ही अच्छे हैं तो कोई अनहद बुरे हैं

अच्छाई जब बुलंदीओं को छू ले तो वे ईश्वरकी इबादत होती है

जब बूराई अपनी सीमा छोड़ देती है, वे सारी दुनियामें तबाही फैलाती है

हमने आध्यात्मकी  और तत्वज्ञानकी कई किताबों में पढ़ा है

की खराब कर्म करने वाले राक्षश योनिमे जन्म लेते हैं

लेकन हमने देखा है वे जन्म तो मनुष्य योनिमे ही लेते है

लेकिन कर्म राक्षसों जैसे करते हैं, जैसे निर्भयाके कातिलोंने कर दिखाये.

खराब कर्म करने वाली बात सिर्फ थोड़े मनुष्यों तक ही सिमित नहीं है,

कोई देशकी धरतीके ऊपर हुए खराब कर्मों की वजहसे वह इतनी शापित हो जाती है,

कि खुदके देशकी सीमाओं को लांघ कर पडोसके देशों में महामारी और जानहानिको अंजाम देती है

बित चुके सालों और युगों में किये हुए पापों का दायरा जब फैलता है तो दुनियामे तबाही आती है

हम सब ऐसे ही माहोलसे गुजर रहे हैं जब दुनियाके कई देशोमे हजारों लोग मर चुके हैं, मर रहे हैं.

सुनामी, महामारी, युध्ध जैसे तबाही लाने वाले सैलाबमें हम खींचे जाते हैं, शरीरोंके अवसान तक.

जीवन अभी बाकी है, उपरसे बुलावा भी आया नहीं है, फिर भी महामारीमें हम क्यों बहे जाते हैं?

दुनियाके देशों की धरती से उठती हुई पुकार प्रार्थना बन कर फ़ैल रही है “अब बस भी कर यारा !”

“हे ईश्वर, कोई एक देशसे निकले हुए श्रापसे, क्यों श्रापित हो रही है सारे जहांकी निर्दोष जनता?”

हवाई जहाजकी, रेल गाडीओंकी, सभी आवागमनकी रफ़्तार रुकी, लोगोंको घरों में बंध होना पड़ा,

स्कूल, कोलेज, ओफिसें बंध हुई, मोल, दुकाने बंध हुए, कई लोगों की नौकरी छूटी, कमाई तूटी,

कोरोना की बिमारीने हज़ारों को क्वोरनटाइनमें, अस्पतालमे सुलाया, तो कई हजारों को मौतकी नींद.

ईश्वरने दी हुई जिंदगी हसीन है, फिर भी आधे रस्ते में ही क्यों कट जाता है जीवन का सफ़र?

क्यों ना हम दुनियासे, महामारिसे दूर, समाजसे हट कर, थोडा समय सिर्फ अपनोंके साथ बिताएं?

मनकी शांति में, अंत:करणकी गहराइओं में उतर कर परमात्माकी कृपा और आशीशका अनुभव करें !

-    हरीश पंचाल (‘ह्रदय’) -

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय

Oct 06, 2019 10:41 PM - Harish Panchal

आज गुरु-पूर्णीमाँ का पवित्र दिवस है.

आईएहमारे सबके अंतरात्मा में बैठे हुए

परम गुरु’ को हम प्रणाम करें,

और संत कबीरजीकी पंक्तियाँ उन्हें सुनाएं

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“सत्य मेव जयते” 

Dec 21, 2019 11:57 AM - Harish Panchal - Hriday

हम जहाँ पले, बडे हुए, पढ़े, कमाए, परिवार बनाया, ज्ञान पाया,

यही धरती हमारी मा है, पिता है, गुरु है और ईश्वर भी है,

जो यहाँ नहीं जन्मे थे, वे आये, उन्हें भी इसी धरती ने सहारा दिया,

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हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

Feb 22, 2024 12:04 PM - Harish Panchal ('hriday')

हम ने चलना सिखा था, चलते गिरना सिखा था,

गिरके संभलना सिखा था और गिरके उठे तो

आसमान में उड़ना भी सिखा था

वसुधैव कुटुम्बकम

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जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वे कहाँ है...?

Sep 28, 2019 08:31 PM - Harish Panchal

देशमे कई कितने चुनाव आते रहेअलगअलग पक्षों के लोग लड़ते रहेंएक दूसरेसे झगड़ते रहेमारते रहेमरते रहेसरकार बनाते रहेविपक्ष बनाते रहेआम जनताके पैसोंको लूटते रहेढेर सारे – लाखोंकरोड़ों रुपये अपनी तिजोरिमे जमा करते रहे

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चाहना की चाहत में सारा जीवन गंवाया

खुद अपनेमे ही झाँक कर नहीं देखा

Feb 22, 2024 12:40 PM - Harish Panchal ('hriday')

सोचा था इश्वर ऊपर रहेता है वहांसे वह सब देखता होगा,

तो उसे यह फ़रियाद पहुंचाई “बता, तेरी दुनियामें चाहत कहाँ है?”

 

तो दिलके अंदरसे आवाज़ उठी “मैं चाहतका खजाना ले कर तेरे अंदर ही बैठा हूँ”

सारी दुनियामें खोजनेके बजाय तूने खुदको चाहा होता तो दुनियाकी चाहत तुजे मिल चूकी होती”

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