२०७७ का नया साल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है

Feb 21, 2024 11:54 AM - हरीश पंचाल (ह्रदय )

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उनको हम ‘ईश्वर’ क्यों न कहें ?

Sep 28, 2019 08:15 PM - Harish Panchal

जैसे हम सब जीवों का भविष्य होता है, ठीक उसी प्रकार हरेक देशका भी भविष्य होता है कौनसे देशमे, कौनसी पार्टियां कितने उलटे-सीधे, गोल-माल, भर्ष्टाचार-अत्याचार करके ऊपर उठी हैं कौनसे देशका पापों का घडा भर चुका है, किसे गिरना है और किस सात्विक देशको ऊपर उठाना है ये सब बातें उस ‘ईश्वर’ को पता है क्यों कि वोही ‘धर्म’-‘अधर्म’ में धर्मके पलड़े को उठाये रखता है

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यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा मुकाम है ..

Dec 06, 2019 10:37 PM - Harish Panchal - Hriday

अहम्, कामनाएं, लालच ने मिलकर पुरखों के दिये संस्कारको रोंदा

सब के ऊपर राज करने निकले थे हम, लेकिन खुद को ही गवाँ बैठे

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२०२० की सुबहमे आइए, हम एक-जूट हो जायें  

Dec 31, 2019 11:14 PM - Harish Panchal - Hriday

२०२० के नये सालकी

चौकट पर हम आ खड़े हैं.

हमारा धेयेय क्या है,

हमें कहाँ जाना है,

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‘जीवन-मूल्यों’ जैसी कोई चीज़ बाकी बची है क्या ?

Dec 06, 2019 10:15 PM - हरीश पंचाल - ह्रदय

जीवन कि सिढियो से प्रगति की ऊन्चाइऑ को हांसिल करने के बजाय, हम दिन-प्रतिदीन नीचे और नीचे ही गिरते जाते हैं. पीढ़ीओं से गिरे हुए जिन संस्कारों के साथ हम नया जन्म ले कर आते हैं, वे निम्नतर संस्कार प्रत्येक जन्म में और नीचे गिरते रहते हैं. जीवनके मूल्यों का अवसान हो चूका है और फिर भी हम हमेशां मरते रहते हैं, जब भी कोई बुरी सोच को पालते हुए निंदनीय कार्य करते हैं. ऊपर से नीचे तक सब गिरे हुए हैं.

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चाहना की चाहत में सारा जीवन गंवाया

खुद अपनेमे ही झाँक कर नहीं देखा

Feb 22, 2024 12:40 PM - Harish Panchal ('hriday')

सोचा था इश्वर ऊपर रहेता है वहांसे वह सब देखता होगा,

तो उसे यह फ़रियाद पहुंचाई “बता, तेरी दुनियामें चाहत कहाँ है?”

 

तो दिलके अंदरसे आवाज़ उठी “मैं चाहतका खजाना ले कर तेरे अंदर ही बैठा हूँ”

सारी दुनियामें खोजनेके बजाय तूने खुदको चाहा होता तो दुनियाकी चाहत तुजे मिल चूकी होती”

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