एक तरफ महिलाएं और एक तरफ स्वामी
हरे राम, हरे राम; राम राम हरे हरे,
एक बड़ी समस्या लेकर आये पास तेरे .
हमारी कुछ सुलज़ा दे उलज़न; आज किसे हम करें नमन
सारे विश्वकी महीलाओं या महर्षि दयानन्द ?
आज है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिन
और जिनकी जयंती भी है वे स्वामी दयानन्द
एक और वे है जिन्होंने मानव जात को दिया जनम,
और दूजे वे महर्षि जिसने डाली आर्य समाजकी नींव.
क्यों ना एक आंतर्राष्ट्रीय आर्य समाज बनाएं, हम
विश्वकी सारी महिलाओंका और महर्षिका वहीं, साथमें करे पूजन ?
अलग अलग है दोनों, फिर भी चारों तरफ दोनों की है महिमा
एक तरफ माता नारायणी तो दूसरी तरफ ‘नारायण’ का मसीहा
२०२० की सुबहमे आइए, हम एक-जूट हो जायें
२०२० के नये सालकी
चौकट पर हम आ खड़े हैं.
हमारा धेयेय क्या है,
हमें कहाँ जाना है,
चलो, हम हो लें उनके साथ, करे जो कृष्णके के जैसी बात
जिस देशके प्रधान मंत्री पहले दुनियाकी बड़ी कोन्फरंसमें हाथ बाँधकर, मौन हो कर खड़े रहते थे
आज हमारे प्रधान मंत्री की दहाड़ और मार्गदर्शनके पीछे दुनियाको एक नई दिशा दिखती है.
आज हम इतना ऊपर उठ चुके हैं कि हम ‘Super Powers’ की कक्षामें आ चुके हैं.
अब हमें नीचे नहीं गिरना है. हमने ‘विकासकी मशाल’ पकड़ी है , जो सबको राह दिखानी है
जीवनकी संध्या समयमें
जीवनकी संध्या समयमें ,आइये, हम
अपना बोज हल्काकरते हुए
आइए हम सब हमारे भिष्म पितामहके साथ हो लें
कोई एक ऐसी हस्ती कई युगोंके बाद, कई सालोंके बाद इस पृथ्वी पर जन्म लेती है
जिसकी सोच इतनी गहेरी, ऊंची और इतनी गहन होती है जो सभी मुश्किलोंके सुझाव ला सके,
जिसकी निर्णायक शक्ति इतनी तेज़, इतनी सही दिशामे होती है, और कभी डगमगाती नहीं,
आइए आज थोडा सा दुःख मांग लें
शायद इस लिए कि आत्माका मूल स्वभाव ही सुख है
‘सत्, चित्त और आनंद’ ये ही आत्माके मूल तत्त्व है
आज भी हमारी प्रार्थनाओं में सुख की मांग ही होती है.
मानव जीवनमे हर जगह, हर समय सुख ही सुख हो यह मुमकीन नहीं.
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