न्याय्की देवी खामोश क्यों है?

Feb 16, 2024 05:41 PM - Harish Panchal ('hriday')

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दुनियामे जबसे न्याय प्रणालीका का आरम्भ हुआ तबसे ग्रीक संस्कृति और मान्यता पर आधारित  न्याय की देवीकी आँखें एक काली पट्टीसे बंध है. इक हाथमे तलवार और दूसरे हाथमे तराजू लेकर Lady Justice खड़ी है. अब तक ऐसा माना जाता था कि इन्साफ करते समय न्याय्की देवी ना तो दोस्त देखती थी, ना तो अपराधिकी जात, gender, उम्र, मोभ्भा (status), होद्दा (position), कुछ नही नहीं देखती थी, जो सच्चा निर्णय करनेके बाधारूप बने. जब निष्पक्ष न्याय हो तब तराजू के दोनों पल्ले समतोल (balance) हो जाने चाहिये.  

आज हम जो समयसे गुज़र रहे है वहां  हमारे सबके दिल और दिमागमें यह प्रश्न उठ रहा है कि उन  ऊंचे आदर्शों पर संस्थापित की हुई न्यायकी देवी आज भी निष्पक्ष न्याय कर पाती है क्या? ईश्वरको दिखावे के लिए मंदीरमे जाकर, भेंट चढ़ाकर, बाहार आकर घिनोने काम करते हैं, ऐसे समयमे उस बेचारी न्याय्की देवी को कौन सुनने को तैयार है?

 

हम जिस समयमे जी रहे हैं, वहां चोरी, लूट, आवारागिर्दी, भ्रष्टाचार, अत्याचार्म निर्दोष लोगोंकी ह्त्या, वगैरे बहुत ही सामान्य घटनाएं हो गई है. लोग भयानक से भयानक गुनाह करते हैं और जनता जिनसे न्याय मिलनेकी उम्मीद रखती है, वही लोग, नेताएं और सत्ताकी कुर्सी पर विराजमान लोग भयानक गुनाहोंको बिकुल सामान्य घटनाएं साबीत करनेके लिए आकाश, पाताल एक करके,  अन्यायका बेशरम मोहिम चलाती है.

 

हमें जीवन ईश्वर देते हैं, उनके सिवाय किसीकी भी जान लेना किसीको अधिकार नहीं है. फिर भी जैसे तडबूच, या भाजी तरकारी काटते हों ऐसी आसानीसे निर्दोष लोगों का खून कर दिया जाता है.

न्याय्की देवीकी बंध आखोंसे अश्रु क्यों बह रहे हैं? उनकी जबान काट दी गई है क्या? उनके हाथोंसे तलवार छीन ली गई है क्या?

सामान्य जनतासे यह सब सहा नहीं जाता. तब जा कर एक पुरानी हिंदी फिल्म का दर्द से भरा हुआ गाना गाने को दिल होता है. आजकी ‘रब्बर-स्टेम्प’ की तरह कड़ी हुई ‘अंधी’ न्याय्की देवीको यह कहने को दिल चाहता है:

“जला दो, जला दो, जला दो यह दुनिया’

मेरे सामने से हटा लो यह दुनिया,

तुमारी है तुम हे संभालो यह दुनिया.

यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो कया है?

 

यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो कया है?”

 

https://www.youtube.com/watch?v=7Z6Lr0JYAro

 

हमने चाहा तो था प्यारसे गले मिलते चलें ...

Feb 16, 2024 07:56 PM - Harish Panchal

वो चल रहे थे एक रास्ते पर

हम भी चल रहे थे और रास्ते पर.

दोनों चल रहे थे लेकिन हम एक-दूजे से मिल ना पाये

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माँ की  बहुत याद आती है...

Feb 16, 2024 12:29 PM - हरीश पंचाल 'ह्रदय'

पश्चिमी देशोंमें पूरे सालमें एक बार आता हुआ ‘Mothers Day’ हमारी मातृभूमि पर पहले हमने कभी सुना नहीं था. फिर भी हम सब अपनी, अपनी माताओं से एक ही ‘wavelength पर जुड़े रहते आये हैं. रोज़-बरोज़की जिन्दगीमें अक्सर जब, जब माँ घर पर नहीं होती थी तो घर खाली, खाली सा लगता था.

 

हमने कभी भी माँ को शब्दोंमें यह नहीं जताया था कि उसके बगैर घर कितना खाली, खाली महेसूस होता था, फिर भी मनमें हमेशां यह सत्य उभरता रहता था कि माँ के बगैर आधा घंटा भी एक लम्बे युग जैसा प्रतीत होता था.

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सुबह कभी तो आनी ही है  

Feb 16, 2024 06:55 PM - Harish Panchal ('hriday')

लॉक डाउन के सन्नाटों में सोये शांत शहरों की गलीओमें छाई है उदासी

उन सबमें कभी तो सुनाई पड़ेगी चहल पहल से प्रेरित एक नई संजीवनी.

 

खामोशीमें लिपटी हुई, शहरकी जो बंद दुकानों पर लगे हुए ताले थे,

उन सबके खुल्ले दरवाजे हाथ जोड़ कर हमारा स्वागत कर रहे होंगे.

 

स्मशान जैसी शान्तिमे सोये थे चौराहे, गलीयाँ, स्टेशनें और ओफिसें  

वे सब रास्ते, गाड़ीयां, और स्टेशनों एक नइ रफ्तारसे ट्राफिक जाम कर रहे होंगे.

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आइए, हम सब सुनहरी अक्षरों से हमारे देशका भविष्य लिखें

Feb 16, 2024 08:08 PM - Harish Panchal

हमारी इस मात्रुभूमिने हमें बहुत कुछ दिया है

सबसे ऊंचा मान्वजन्म, जिसने हमें अच्छे विचार करनेकी भेंट दी,

रचनात्मक कार्य करनेकी सोच दी.

कर्म करते रहनेकी सीख दी; और उन कर्मो के कर्तृत्व भावसे दूर रहने की दिशा दिखाई.

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हमें इज्जतसे जीना है या शर्मके चुल्लू भर पानीमें डूब के मरना है?

Feb 16, 2024 01:43 PM - हरीश पंचाल 'ह्रदय'

चुनाव आते हैं और जाते हैं, जानेके बाद भी फिर, कई बार आते रहते हैं

वे अपने साथ कुछ अच्छाइयाँ लाते हैं, अधिकतम आक्रोश और अराजकता लाते हैं

पार्टियाँ वादे करती हैं, वादे करनेके पैसे नहीं खर्च होते, लेकिन कौन वादों को निभाता है?

घरोंके दर्वाज़े पर दस्तक देना, दो हाथोंको जोड़ कर चहेरे पर लुभावनी मुस्कानें पहनकर

बड़ी नर्मीसे कहना “हम आपके भलेके लिए ही आये हैं अगर आपका वोट हमें मिल जायें”

वे जाते हैं, थोड़े देरके बाद कई और पार्टियों के उम्मीदवार आते हैं. वही लुभावना अंदाज़,

और कहना “अगर आप हमें जीता दें तो हम बिजली-पानी मुफ्त कर देंगे और पैसे बचायेंगे!

आखरी दिन भी बचे कुचे उम्मीदवार “मुफ्त्मे लेपटॉप और पढाई फी माफ़ करनेका” वादा करते हैं.

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